उत्तराखंड प्रागैतिहासिक काल (Uttarakhand GK in hindi)

दोस्तो उत्तराखंड के हर किसी exam में उत्तराखंड प्रगैतिहासिक काल से प्रश्न जरूर पूछे जाते है Uttarakhand GK in hindi आज हमने उन्ही के बारे में जानकारी दी है कृपया ध्यानपूर्वक व पूरा पड़े ।

उत्तराखंड प्रागैतिहासिक काल

प्रागैतिहासिक काल का अर्थात इतिहास से पहले का समय यह वो समय था जब मनुष्य को ठीक से भाषा का ज्ञान नही था अर्थात आदिमानवों वाला समय ऐसा माना जा सकता है कि उस समय आदिमानव शैलो, गुफाओं में रहा करता होगा वहाँ उन्होंने अपने आस पास जो भी घटनाएँ देखी सभी का चित्र शैलो, गुफाओं में अंकित किया है । राज्य के विभिन्न स्थलों से खोजे गए गुफ़ा, शैल चित्र, कंकाल, मृदभांड आदि इस काल में मानव के होने की पुष्टि करते है जिसे हम लगभग 3000 ईसा पूर्व से पहले का समय मानते है प्रागेतिहासिक काल के ये अवशेष जहाँ जहाँ मिलते है हम उन सभी का अध्यन करेंगे ।

Uttarakhand one liner Gk in hindi 

लाखू गुफ़ा या उड़्यार (अल्मोड़ा)

लाखु उड़्यार की खोज 1963 में डॉ मेश्वर प्रसाद जोशी द्वारा की गई यह अल्मोड़ा के बाड़ेछीना के पास दलबैंड पर स्थित है जो सुयाल नदी के तट पर है यह उत्तराखंड में शैलचित्रों की सबसे पहली खोज थी । इस शैलाशय की दीवार पर गेरुवे, लाल काले एवं सफेद रंगों से विविध चित्र बने हुए है यहां से मानव तथा पशुओं के चित्र प्राप्त हुए है तथा साथ ही तरंगित रेखाएं तथा ज्यामिती अभिप्राय आदि चित्र अंकित किये है यहां मानव आकृतियों को अकेले या समूह में नृत्य करते दिखाया गया है तथा चित्रों को रंगों से भी सजाया गया है ।

पेटशाल (अल्मोड़ा)

यह अल्मोड़ा से लगभग 3 से 4 किलो मीटर दूर पेटशाल व पुनाकोट गांवो में बीच मे स्थित है यह भी दो शैलाश्रयों से प्राप्त होते है इसमें भी नृत्य करते हुए मानवाकृतिय दिखाए गए है जो की कत्थई रंग से रंगे है ।

फलसीमा (अल्मोड़ा)

यह अल्मोड़ा जिले से लगभग 8 से 10 किलोमीटर दूर है यहाँ भी पेटशाल की तरह ही दो शैलाश्रय मिले है जिसमें नृत्य करती हुई तथा एक योग मुद्रा वाली मानव आकृति मिली है ।

ल्वेथाप (अल्मोड़ा)

यह भी अल्मोड़ा जिले में स्थित है जहाँ से तीन शैलाश्रय मिले है इन शैलचित्रों में मानव को शिकार करते तथा हाथों में हाथ डालकर नृत्य करते दिखाया गया है यहाँ पर मुख्य रूप से लाल रंग के चित्र बने हुए है ।

ग्वारख्या गुफा या उड़्यार (चमोली)

यह चमोली में अलकनंदा नदी के किनारे डूंगरी गाँव के पास स्थित है यहाँ से हमे रँगीन लाल गुलाबी रंग के चित्र मिलते है जिनकी संख्या 41 है जिसमे 33 मानवों के और 8 पशुओं के चित्र है जिसमे भेड़, बारहसिंगा, लोमड़ी, बकरी आदि अंकित है और ये चित्र लाखू गुफा के चित्रों से अधिक चटकदार है ।

किमनी गांव (चमोली)

यह चमोली के थराली में पिण्डर नदी घाटी पर स्थित है । इस शैलाश्रय में हल्के सफेद रंग से चित्रित हथियार, एक साफ जैसे दिखने वाला जीव एवम पशुओं के शैलचित्र मिले है ।

मलारी गांव (चमोली)

चमोली जिले में स्थित तिब्बत सीमा से सटे मलारी गाँव मे गढ़वाल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं को सन 2002 में हजारों वर्ष पुराना नर कंकाल, मिट्टी के बर्तन तथा 5 किलो के एक सोने के मुखोटे आदि अवशेष प्राप्त हुए है । विद्वानों के अनुसार ये बर्तन पाकिस्तान की स्वात घाटी के शिल्प के समान है ।

हुड़ली (उत्तरकाशी)

अल्मोड़ा तथा चमोली जिले के तरह ही उत्तकाशी के हुड़ली नामक जगह पर एक शैलाश्रय मिला है इन शैलो से अधिक जानकारी तो प्राप्त नही होती है पर इन शैल चित्रों में नीले रंग का प्रयोग किया गया है गढ़वाल के कई और स्थलों से चित्रित धूसर मृदभांड के साक्ष्य मिले है ।।

बनकोट (पिथौरागढ़)

अन्य जिलों की भांति ही पिथौरागढ़ के बनकोट शैलचित्रों से भी 8 ताम्र मानवाकृतिया मिली है ।

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